कोशिका
(Cell)- यह शरीर रचना की छोटी इकाई है! वनस्पति एवं प्राणियों की
रचना इन्ही कोशिकाओ से हुई है! कोशिकाओ के मुख्यत: दो भाग होते है- कोशिका द्रव्य
(Cytoplasm) और कोशिका केन्द्रक (Nucleus). कोशिकाओ की पारदर्शी झिल्ली के भीतर एक
प्रकार का द्रव्य पाया जाता है, जिसे कोशिका द्रव्य और कोशिका के मध्य भाग को
केन्द्रक (Nucleus) खा जाता है! पेड़ पोधो की कोशिकाएं नियमित आकार की होती है,
क्योकि इनकी कोशिका भित्ति सेलुलोज की बनी होती है! प्राणियों की कोशिकाए भिन्न
आकार की होती है, क्योकि प्राणियों की झिल्ली सेलुलोज की नही बनी होती है! कोशिकाओ
में उपापचय (Metabolism) वातावरण के प्रति संवेदनशीलता और विभाजन के गुण होते है!
कोशिका द्रव्य में प्रोटीन,
वासा, कार्बोहाइड्रेट जैसे संश्लिस्ट पदार्थ तथा अकार्बनिक लवण रहते है! कोशिको के
गुण प्रोटीन पर निर्भर करते है! क्योकि कोशिकाओ की झिल्ली or Mitochondria वसा की
बनी होती है जिससे कोशिकाओ को ऊर्जा मिलती है! ऊर्जा का मुख्य स्रोत
कार्बोहाइड्रेट होता है जो की कोशिकाओ की प्राणमूलक क्रिया (vital process) बनाए
रहता है! नाभिक के भीतर सूत्र की आक्रति के अवयव युग्मावस्था में पाए जाते है, जिन्हें
गुणसूत्र (chromosome) कहा जता है! chromosome प्रोटीन और डीऑक्सीन्युक्लाइक अम्ल
का बना होता है! आनुवंशिक गुणों का संप्रेषण क्रोमोजोम पर निर्भर कर्ता है!
ऊतक
(Tissues)- मानव शरीर के अंग विभिन्न प्रकार के tissues से बने होते है!
Tissues का निर्माण कोशिकाओ से होता है! tissues की बनावट इसकी कोशिका एवं
अन्त-कोशिका द्रव्य की क्रिया के अनुरूप होती है ! जन्तुओ के ऊतको को 4 भागो में
विभाजित किया गया है- 1. Epithelial Tissues 2. Connective Tissues 3. Muscular
Tissues 4. Nervous Tissues.
अस्थि-तंत्र
(Skeletal System)- अस्थि की बनावट काफी जटिल होती है! सजीव
अस्थि में 20% जल तथा शेष भाग में 2/3 खनिज एवं 1/3 कार्बनिक पदार्थ रहता है!
organic matrix प्रमुख रूप से कोलेजन-एक प्रकार का प्रोटीन तंतु होता है! जो
Tendons, skin और connective tissues में पाया जाता है! collagen में खनिज तथा
सीमेंट जेसा एक पदार्थ इस प्रकार मिला रहता है की इसकी बनावट रिइन्फोसर्द कंक्रीट
जैसी हो जाती है यही कारण है की अस्थि सामान्यतया ढलवा लोहे सी मजबूत परन्तु इससे
कई गुनी हल्की or लोचदार होती है!
इसके भीतर Bonemarrow पाई जाती
है,जो अस्थि का अविभाज्य अंग होती है! Bornemarrow दो प्रकार की होती है – Yellow bonemarrow और Red
bonemarrow. yello bonemarrow fat की बनी होती है तथा red bonemarror में रक्त
कोशिकाओ का निर्माण होता है!
अस्थि पंजर
(Skeletion)- यह छोटी बड़ी 206 हड्डियों के संयोग से बना एक ढांचा है जो
शरीर के आकार, इसके अंगो को गति और सुरक्षा प्रदान करता है! इसकी अस्थियो को पांच
खंडो में विभाजित किया गया है –
खोपड़ी, धड, स्कन्ध-मेखला (shoulder girdle) और हाथ, pelvic girdle और पैर की
अस्थियाँ!
कशेरुक दंड
(Vertebral column)- यह अस्थियो के 33 टुकडो से बना एक
लोचदार स्तम्भ है, जो धड को अवलंब प्रदान करता है! कशेरुक दंड में अस्थियो के 26
टुकड़े होते है एक कशेरुक दुसरे कशेरुक पर इस प्रकार स्थित होता है की इसके भीतर एक
नली बन जाती है जिसे कशेरुक नली कहाँ जाता है Spinal cord इसी नली में स्थित रहता
है!
पेशियों
(Muscles)- पेशियाँ शरीर के प्रेरक तंत्र (Motor apparatus) के सक्रिय
अंग है इनके सिकुड़ने तथा फेलने से शरीर में विभिन्न प्रकार की गति उत्पन्न होती
है! कार्य के अनुसार इन्हें दो वर्गो में रखा गया है 1. Voluntary 2. Involuntary.
पाचक नाल
(Alimentary canal)- यह विभिन्न मोटाई की 33 फीट लम्बी
टेढ़ी-मेढ़ी नली है, जिसका विस्तार मुख से मलद्वार तक है! मुख, गला, ग्रासनली, आमाशय,
पक्वाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय इसी नली के भिन्न-भिन्न भाग है! इस नली का
सम्पर्क अग्न्याशय और liver से है, जो इसमें अग्न्याशय रस, इंसुलिन तथा पित्त
स्त्रावित करते है!
पाचन-क्रिया
(Digestion System)- पाचनकाल में खाद्य पदार्थ की जो
यांत्रिक और रासायनिक अभिक्रियाए होती है, उससे पाचन क्रिया कहते है! भोजन की पाचन
क्रिया मुख से ही आरम्भ होती है! मुख में भोजन की यांत्रिक और रासायनिक अभिक्रिया
दोनों अभिक्रिया होती है यांत्रिक अभिक्रिया के दोरान दांत, जीभ की सहायता से भोजन
के टुकड़े कर्ता है! रासायनिक अभिक्रिया के अंतगर्त लार ग्रन्थिया से लार निकल कर
भोजन में मिलता रहता है! लार में दो प्रकार के एंजाइम Ptyalin तथा Lysozyme पाए
जाते है जो भोजन क श्वेतसार वाले अंश को सरल शर्करा में परिवर्तित कर आसानी से
पचने लायक बना देते है! इस प्रकार इस प्रकार स्वेतसार का कुछ अंश मुख में ही पच
जाता है
इसके बाद भोजन, भोजन नली के
माध्यम से आमाशय में आजाता है आमाशय की भीतरी सतह पर छोटी छोटी ग्रंथिया रहती है,
जिनसे एक प्रकार का तीव्र अम्लीय रस निकलता है इस पाचन रस को आमश्यिक रस कहते है भोजन
आमश्यिक रस में मिलकर गाढ़ा हो जाता है इसका कुछ भाग विशेषकर श्वेतसार और प्रोटीन
आमाशय में पचता है
पक्वाशय
(Duodenum)- यह छोटी आंत का आरम्भिक भाग है, जिसकी लम्बाई 12 इंच होती है
यह स्वतंत्र मांसपेशियों से निर्मित अंग्रजी ‘C’
अक्षर के आकार का होता है पाचन क्रिया के दोरान भोजन में liver से पित्त तथा
pancreatic juice और इन्सुलिन पक्वाशय में ही मिलते है!
आमश्यिक रस
(Gastric juice)- आमाशय की दिवार में अनेक ग्रंथिया है, जो स्वच्छ आम्लिक द्रव स्त्रावित
करती है, इस द्रव को आमश्यिक रस कहते है इसमें एंजाइम, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल,
Mucin, और एनी कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ रहते है प्रमुख एंजाइम पेप्सिन के
अलावा इसमें रेनिन और लाइपेज एंजाइम भी पाए जाते है! pepsin प्रोटीन को खंडित कर,
पेपटोंन और albumose में बदल देता है! रेनिन दूध को फाड़ने का काम करता है, लाइपेज
वसा को पचाता है! हाइड्रोक्लोरिन अम्ल एंजाइम की क्रिया को तीव्र करता है तथा
बेक्टीरिया को मारने का कार्य करता है!
liver- यह
मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है,जो उदर-गुहा (Abdominal cavity) के ऊपरी भाग में
दाहिनी और स्थित है यह गहरे धूसर रंग का होता है और इसका वजन 1.5kg. होता है! यह
एक गहरे गर्त द्वारा दो खंडो में बंटा रहता है इसके निचले भाग में नाशपति के आकार
की एक छोटी सी थेली है जिसे पित्ताशय कहते है!
पित्त (Bile)- यह
पीलापन लिए एक क्षारीय द्रव है, जिसका स्त्राव liver करता है इसमें जल, पीताम्ब,
Bile pigment तथा एनी कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ रहते है इसमें कोई एंजाइम नही
रहता है!
अग्न्याशय
(Pancreas)- यह शरीर की दूसरी
सबसे बड़ी ग्रन्थि है इसकी सबसे बड़ी विशेषता है की यह एक साथ अन्त:स्त्रावी और बहि:
स्त्रावी दोनों प्रकार की ग्रन्थि है अग्न्याशय Pancreatic juice स्त्रावित करता
है, जो एक नलिका के माध्यम से पक्वाशय में आ जाता है इसके साथ ही इसका एक विशेष
भाग, जिसे Islets of Lnagerhans कहा जाता है, इन्सुलिन तथा glucagon हार्मोन्स का
अन्त:स्त्राव करता है!
अग्न्यासिक
रस (Pancreatic juice)- यह स्वच्छ क्षारीय द्रव है, इसमें
मुख्त: तीन प्रकार के एंजाइम पाये जाते है- Amylase, Maltase कार्बोहाइड्रेट को
Trypsin प्रोटीन को और Lipase वसा को पचाते है!
लेंगरहेंस की
द्विपिका (Islets of Langerhens)- यह अग्न्याशय का एक विशेष भाग
है, जिसकी खोज लेंगरहेंस ने की थी यह ऊतको का एक समूह है, जो Insulin और Glucagon
नामक हार्मोन का आंतरिक स्त्राव करती है! इन्सुलिन carbohydrate metabolism को
प्रभावित करता है
इन्सुलिन
(Insulin) – यह अग्न्याशय
के एक विशेष भाग लेंगरहेंस की द्विपिका द्वारा स्त्रावित एक प्रकार का
हार्मोन है जो Blood sugar की मात्रा को नियंत्रित रखता है भोजन का कार्बोहाइड्रेट
वाला भाग पचकर ग्लूकोज में परिवर्तित होता है, शर्करा इन्सुलिन की प्रतिक्रिया से
खंडित होकर तंतुओ में मिल जाती है इसका स्त्राव पर्याप्त मात्रा में नही होने पर
शर्करां रक्त में चली जाती है! liver में ग्लैकोजिन संचित नही हो पाता है, क्योकि
इन्सुलिन liver में ग्लैकोजिन संचित करने में मदद कर्ता है! इससे liver में पूर्व
संचित ग्लैकोजिन धीरे धीरे समाप्त होने लगता है! एसी स्थिति में तंतुओ के प्रोटीन
और संचित वसा शर्करा में परिवर्तित होने लगती है, फलत रक्त में शर्करा की मात्रा
बढ़ जाती है!