What is Vitamins? यह एक प्रकार का कार्बनिक योगिक है, जो
शरीर की सामान्य वृद्धि तथा रोगों से रक्षा
के लिए अत्यंत आवश्यक है इसके आभाव में शरीर किसी ना किसी रोग का शिकार हो जाता है
विटामिन ऊर्जा में आवेजन के रूप में भाग लेता है यह Tissues में Enzyme का निर्माण
करता है, जो कोशिकाओ और ऊतको में पोषक तत्वों को परिवर्तित करने में मदद करता है!
रासायनिक बनावट और किये गये शारीरिक कार्यो के अनुसार
vitamins को मुख्यतया ‘A’, ‘B’, ‘C’, ‘D’, ‘E’, ‘K’ भागो में विभक्त किया गया है! vitamin ‘B’ व ‘C’ जल में घुलनशील विटामिन्स है! तथा ‘A’ ‘D’ ‘E’ और ‘K’ केवल वासा में घुलनशील विटामिन है!
Vitamin A (रेटिनॉल) – यह केवल वासा में घुलनशील है यह शरीर के Epithelial
tissues को स्वस्थ बनाये रखता है इसकी कमी के कारण श्वासनली तथा पाचनतंत्र की
Epithelium रुग्ण हो जाती है! रतोंधी (Nyctalopia), आँखों का शुष्क होना
(Xerophthalmia), कोर्निया में श्वेत फुल्ली पड़ना और दृष्टी समाप्त हो जाना, आदि
इसकी की कमी के कारन होते है! यह मक्खन, अंडे, दूध, मछली के तेल में पर्याप्त
मात्रा में पाये जाते है! शरीर में विटामिन A का निर्माण लीवर, caratene से करता है
और caratene पालक. गाजर, टमाटर में पाया जाता है! भोजन में प्रतिदिन 1 – 2 ml. विटामिन A की आवश्यकता होती है!
Vitamin B (विटामिन-बी-कम्पलेक्स) – यह जल में जल में घुलनशील तथा ग्यारह प्रकार के
vitamins का समूह है जिसमे विटामिन बी, निकोटिन अम्ल, रिबोफ्लेविन, विटामिन ‘बी-6’, फोलिक अम्ल, विटामिन बी-12, आदि है! इस वर्ग के
विटामिनो की सबसे बड़ी विशेषता ये है की इसमें नाइट्रोजन पाया जाता है!
Vitamin ‘B-1’ (थायमिन) – यह विशेषकर कार्बोहाइड्रेट उपापचय में सक्रिय भाग लेता
है! यह मटर, शुष्क खमीर, अंडे की जर्दी तथा कुछ अनाजो की भुस्सी में पाया जाता है
मनुष्य के शरीर में इसका निर्माण किसी अन्य पदार्थ से नही होता है तथा यह रिजर्व
के रूप में भी संचित नही रहता है! भोजन में प्रतिदिन 2 ml. विटामिन बी-1 की
आवश्यकता होती है!
Note- Vitamin B-1 की कमी से बेरी-बेरी नामक
रोग होता है!
Vitamin ‘B-2’ (रिबोफ्लेविन) - यह
कार्बोहाइड्रेट तथा अन्य पदार्थो के उपापचय में भाग लेता है और श्वसन, रक्तोप्ती
तथा तंत्रिकातंत्र के कार्यो को प्रभावित करता है! यह खमीर, कलेजी आदि में विशेष
रूप से पाया जाता है! Riboflavin की कमी के कारण चर्म रोग हो जाते है, बाल गिर
जाते है, तंत्रिकातंत्र में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है तथा नेत्रगोलक में परिवर्तन
आ जाता है प्रतिदिन भोजन में लगभग 2 ml. विटामिन बी-2 की आवश्कता होती है!
Vitamin ‘B-6’ (पाइरीडॉकसीन) - यह प्रोटीन,
वसा और सल्फर के उपापचय में भाग लेता है यह अलेजी, मांस, मछली, खमीर, मटर आदि में
पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है इस विटामिन की कमी से तंत्रिकातंत्र में
परिवर्तन आ जाता है!
Vitamin ‘B-7’ (निकोटिनिक अम्ल) – यह उतकों में चलने वाले कार्बोहाइड्रेट उपापचय और अन्य
प्रकार के उपापचय में भी भाग लेता है यह पाचन ग्रंथियों एवं रक्त उत्पन्न करने
वाले अवयव के कार्यो को प्रभावित करता है यह चावल और गेंहू के चोकर, दूध, अंडा, पत्ता
गोभी, टमाटर, खमीर आदि में पाया जाता है!
Note- इस विटामिन की कमी से पेलाग्रा (pellagra)
नामक रोग होता है!
Vitamin ‘B-12’ (साइनोकोवालिमन) – यह रक्त की उत्पति में सहायता करता है यह लाल रक्त कणों
की परिपवक्ता के लिए आवश्यक प्रोटीन का संश्लेषण करता है इसकी कमी के कारण रक्त की
उत्पति में बाधा उपस्थित होती है! यह बाधा विटामिन बी-12 की कमी के कारण ही नही,
बल्कि आमाशय और छोटी आंत में विकार उत्पन्न होने के कारण भी होती है, क्योकि शरीर
के अवयव भोजन से इस विटामिन का अवशोषण नही कर पते है!
Vitamin ‘C’ (स्कार्विक अम्ल) - यह जल में
घुलनशील स्कर्वी निरोधी विटामिन है इसकी कमी के कारण स्कर्वी रोग हो जाता है इस
रोग में मसूड़े से खून निकलने लगता है तथा दांत ढीले होकर गिरने लगते है! रक्त
वाहिकाओ की दिवार कमजोर हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप मांसपेशियों के भीतर रक्त
स्त्राव होने लगता है! यह टमाटर, प्याज, निम्बू, नारंगी तथा हरी सब्जियों में
पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है भोजन में प्रतिदिन लगभग 50-60 ml. विटामिन सी की
आवश्यकता होती है!
Vitamin ‘D’ (कैल्सिफेराल) - यह वसा में
घुलनशील और रिकेट –
निरोधी विटामिन है! इसकी कमी के कारण रिकेट रोग हो जाता है इस रोग में अस्थिया
कोमल और टेढ़ी हो जाती है बच्चो के दांत लेट निकलते है! पसलिया मोती तथा सिर बड़ा हो
जाता है
केल्शियम और फास्फोरस का उपापचय ठीक से नही होने पर
अस्थियो में केल्शियम का संचय नही हो पाता है! विटामिन डी मछलियों के तेल से, मखन,
अंडे, दूध में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है विटामिन डी कई प्रकार के होते है,
किन्तु इनमे से विटामिन ‘डी-3’ सबसे अधिक उपयोगी है!
Vitamin ‘E’ (टोकोफेरोल) - यह प्रजनन
शक्ति को प्रभावित करता है! पशुओ पर प्रयोग करने के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर
पहुचे है की इसकी कमी के कारण बन्ध्यता (Sterility) आ जाती है! त्वचा सूज जाती है
और शरीर में अन्य कई प्रकार की गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है! यह मांस, अंडे, गेंहू
आदि में पाया जाता है!
Vitamin ‘K’ (फिलोक्विनोंन) - यह
रक्तस्त्रावरोधी विटामिन है, जो liver में Prothrombin के निर्माण के लिए आवश्यक
है! रक्त का जमना इसी पर निर्भर करता है! इसका निर्माण बड़ी आंत में जीवाणु करते
है! इस विटामिन की कमी क कारण रक्त में जमने की क्षमता कम हो जाती है और मसूड़े आदि
से रक्त बहने लगता है! यह पालक, गाजर, पत्तागोभी और सलाद में पाया जाता है!
Note- इस विटामिन की कमी की वजह
से घाव से अधिक समय तक रक्त बहता रहता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है!