Organizing (संगठन)
संगठन के सिद्धांत (Principles of Organizing)
संघठन शब्द का प्रयोग कई अर्थो में किया जाता है जिसका अर्थ होता है व्यवस्थित करना, आयोजित करना या चालू अवस्था में रखना ही संघठन है, उद्देश्यो की प्राप्ति के लिए संघठन एक महत्वपूर्ण कार्य है संघटन के द्वारा जॉब का ढाचा और उसका आवंटन का निर्धारण किया जाता है संगठन कार्यो के अंतर्गत निम्न्न कार्य आते है
1. संघठन के जॉब व विषयवस्तु को निर्धारित करना
2. जॉब का वर्गीकरण समूह के आधार पर करना
3. समूह के आकार प्रकार के बारे में निर्णय लेना
4. समूह प्रबंधक को अधिकार प्रत्यायोजित करना
कोई भी संघठन निम्न्न तत्वों से मिलकर बनता है जो निम्न्न प्रकार है
समूह Grouping-समूह में दो या दो से अधिक लोग होते है, जिनका लक्ष्य समान होता है और उन्ही लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक दुसरे से संपर्क में रहते है इसलिए किसी भी समूह के प्रभावपूर्ण निष्पादन के लिए आवशयक है की प्रबंधक समूह के व्यवहार को समझे
जिम्मेदारियों का निर्धारण Assigning Responsibilities - कार्य को विभिन्न भागो में बाटने के बाद उन्हें लोगो में आवंटित किया जाता है तथा उन्हें उस कार्य को पूर्ण करने के लिए पर्याप्त अधिकार दिए जाते है कार्य का वर्गीकरण व्यक्ति की क्षमता व योग्यता के अनुसार किया जाता है जिससे की वह प्रभावशाली ढंग से कार्य को पूर्ण कर सके
प्राधिकरण के प्रत्यायोजन Delegating Authorities–प्रत्येक संस्थान में कर्मचारियों को उतरदायित्व सोपा जाता है तथा उस उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए उन्हें अधिकार भी दिए जाते है क्योकि बिना अधिकार के कर्मचारी उत्तरदायित्व पूरा नही कर पायेगा इसलिए जिस व्यक्ति को जैसा उत्तरदायित्व सोपा जाता है उसे उसी के अनुसार अधिकार भी दिए जाने चाहिए
उत्तरदायित्व Responsibility–प्रत्येक अधिनस्त कर्मचारी व अधिकारी को अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान होना चाहिए तथा वह उन उत्तरदायित्व को किस प्रकार से पूरा कर सकते है, अधिनस्त कर्मचारी अपने अधिकारी के प्रति तथा अधिकारी अपने अधिनस्तो के कार्यो को पूरा करने के लिए जिम्मेदार होता है, जब हर कर्मचारी को इस सिद्धांत का ज्ञान होता है तो यो कार्य को पूर्ण जिम्मेदारी के साथ पूरा करेगे, इस सिद्धांत के आभाव में संगठन में अव्यवस्था उत्पन्न हो जाएगी
पद्सोपान Designing the Hierarchy level -पद्सोपान का अर्थ होता है “श्रेणीबद्ध प्रशासन” प्रशासन के ढांचे का निर्माण पद्सोपान प्रणाली के आधार पर होता है , वास्तव में पद्सोपान उच्च एव अधिनस्त कर्मचारियों के मध्य स्पष्ट विभेदों का नाम है, फ्पिनर और शेरवुड ने चार प्रकार की पद्सोपान प्रणालियों का वर्णन किया है जो निम्न्न प्रकार है
1. कार्य आधारित पद्सोपान
2. कुशलताओ का पद्सोपान
3. वेतन आधारित पद्सोपान
4. प्रतिष्ठा आधारित पद्सोपान
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